
સ્વીકારે છે ગયા ભવ ની હૂંડી અદ્રશ્ય રહીને કોણ?
બધાં ખાલી છે કોઠારો છતાં ખૈરાત ચાલે છે…
શોભિત દેસાઇ
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कारवाँ -ए -ज़िन्दगी हसरतो के सिवा कुछ भी नहीं,
ये किया नहीं, वो हुआ नहीं, ये मिला नहीं, वो रहा नहीं..
अज्ञात
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નથી હોતી અહીં ઊંચાઈ દરેકની એક સરખી.
કોઈ બહાર થી
તો
કોઈ અંદર થી
વિસ્તરેલું હોય છે.
અગ્યાત
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कभी तो आसमाँ से चांद उतरे जाम हो जाये
तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाये
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये
बशीर बद्र
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इस महफ़िल-ए-कैफ-ओ-मस्ती में इस अंजुमन-ए-इरफानी में
सब ज़ाम वक़फ बैठे ही रहे हम पी भी गए हम छलका भी गए
मजाज़
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हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना
निदा फ़ाज़ली
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ज़हर मीठा हो तो पीने में मज़ा आता है
बात सच कहिए मगर यूँ कि हक़ीक़त न लगे
फ़ुज़ैल जाफ़री